Monday, December 23, 2013

सोच पर हंसी आती है...

अभी अभी समाचार पढा कि एक दंपति ने अपने बच्‍चे के इलाज के लिए पडोस के बच्‍चे की बलि दे दी। इससे बच्‍चा तो नहीं ठीक हुआ, पर उन्‍हें जेल अवश्‍य जाना पडा।

सोच कर हंसी आती है कि हमारे देश में कितने कूढ मगज लोग हैं। बीमार उनका बेटा है और उसका इलाज खोज रहे हैं दूसरे की बचचे की बलि में। पता नहीं इतनी बेसिरपैर की बात और इतनी घिनौनी बात कैसे सोच लेते हैं। अरे, कभी ऐसा हुअ है कि खाना कोई और खाए और पेट किसी और का भरे।

पता नहीं इतनी विकृत और अतार्किक सोच केसे बन जाती है लोगों की। लगता है कि इसके सफाए  के लिए एक बडा अभियान चलाने की आवश्‍यकता है।

Tuesday, July 30, 2013

सोच समझ कर...

हो सकता है कि आपको इस लेख का शीर्षक पढ कर हंसी आ जाए, पर ये कोई हंसनेकी बात नहीं है। अगर हम अपने जीवन में इस छोटी सी बातको उतार ले, तो अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं और तमाम तरह की दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। आप पूछेंगे कैसे, तो चलिए बताते हैं।

अभी अभी समाचार पत्र में एक समाचार पढा, एक कंपनी हजारों लोगों के पेसे लेकर फरार। तो सवाल उठता है कि कंपनी को ऐसा करने का मौका केसे मिलाा उसने लालच दिया कि वह 3 साल में दुगना पैसे कर देगी। लोगों ने बिना दिमाग लगाए उसकी बात पर भरोसा कर लिया, और गई भैंस पानी में। लेकिन अगर उन लोगों ने सोच समझ कर देखा होता कि भई, ऐसी कौन सी जादू की छडी कंपनी काे मिल गयी है, जो 3 साल में दुगना करके दे रही, तो उनको पताचलताकि यह सब धोखा धडी का धंधा है।

एक घटना और आज ही एक समाचार पढा, ओझा के चक्‍कर में सांप का काटा व्‍यक्ति मरा। अब इस समाचार के बारे में क्‍या कहा जाए। भला किसी मंतर-संतर से किसी बीमारी का इलाज हुआ है। अगर बीमारी है, तो दवा खानी तो पडेगी न। इसी तरह से सांप के काटे का इलाज करवाना है, तो एंटीवेनम इंजेक्‍शन लगाना पडेगा। लेकिन भाई लोगों ने अपना दिमाग नहीं लगाया और बिना सोचे समझे चल पडे ओझा से सांप के जहर उतरवाने। और अब परिणाम आपके सामने है।

इससे स्‍पष्‍ट है कि जीवन में सोच विचार कर कदम-कदम पर महत्‍व है। आप छोटा सा भी काम करें, तो पहले ठंडे दिमाग से सोचें कि क्‍या व्‍यवहारिक रूप में ऐसा संभव है। अगर ऐसा करेंगे, तो आप कभी धोखा नहीं खाएंगे।